दश इन्द्रियहरू

0 टिप्पणीहरू 749 आगन्तुकहरू

बुद्धीन्द्रियाणि श्रवणं त्वगक्षि घ्राणं च जिह्वा विषयावबोधनात् ।
वाक्पाणिपादाः गुदमप्युपस्थः कर्मेन्द्रियाणि प्रवणेन कर्मसु ।।९४।।

कान, छाला, आँखा, नाक र जिब्रोबाट विषयको ज्ञान हुने हुँदा (यिनीहरूलाई) ज्ञानेन्द्रिय भनिन्छ । त्यस्तै वाणी, हात, खुट्टा, गुहद्वार र जनेन्द्रिय कर्ममा व्यग्र (लिप्त) हुने हुँदा कर्मेन्द्रिय भनिन्छ । ।।९४।।

स्थूल शरीरमा स्थित ज्ञानेन्द्रिय र कर्मेन्द्रीयबाट जीवले भोगकर्म गर्दछ । यिनीहरूको व्याख्या गर्दै यो श्लोकमा भनिएको छ – देहमा स्थित पाँच इन्द्रियबाट पाँच विषय (शब्द, स्पर्श, दृश्य, गन्ध, रस) को ज्ञान हुन्छ; यिनीहरूलाई ज्ञानेन्द्रिय भनिन्छ । त्यस्तै शरीरका अङ्ग वाणी (मुख), पाणी (हात), खुट्टा, गुहद्वार र जनेन्द्रिय आ—आफ्ना धर्मअनुसारको कर्म गर्दछन् । यिनीहरूलाई कर्मेन्द्रीय भनिन्छ । ज्ञानेन्द्रिय र कर्मेन्द्रियको क्रियाहरूको सम्बन्ध मन अनि वासना हुँदै जीव–बबन्धनसम्म विस्तार भएकाले मोक्षका साधकहरूले देह, ज्ञानेन्द्रिय, कर्मेन्द्रिय, मन, वासना अनि बन्धनको अन्योन्याश्रित सम्बन्धलाई गहिराइमा बुझ्न अत्यन्त आवश्यक छ ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


CAPTCHA Image
Reload Image

पुराना लेखहरु

लेखहरु प्रकाशित मिति आगन्तुकहरू टिप्पणीहरू
किन महासतिपवान मात्र सत्यमोक्ष साधना हो ? 08 poush 2079 484 0
मंगलाचरण 1/15/2023 515 0
मुक्तिको दुर्लभता 1/15/2023 420 0
मनुष्य जन्मको दुर्लभता 1/15/2023 630 0
विचारको महङ्खव 1/15/2023 407 0
शिष्य लक्षण 1/15/2023 476 0
साधन–चतुष्टय 1/15/2023 1195 0
वैराग्य र मुमुक्षताको महङ्खव 1/15/2023 427 0
सद्गुरु लक्षण 463 0
शिष्य प्रार्थना 1/15/2023 527 0
गुरु कर्तव्य 1/15/2023 583 0
1/15/2023 399 0
शिष्य प्रशंसा 1/15/2023 438 0
मोक्षमा स्वप्रयत्नको प्रधानता 1/15/2023 404 0
शास्त्र अध्ययनको मिथ्यात्व 1'/15/2023 450 0
अपरोक्षानुभवको आवश्यकता 426 0
स्थूल शरीरको व्याख्या 1/15/2023 625 0
विषयविन्दा 1/15/2023 457 0
देहाशक्तिको निन्दा 1/15/2023 441 0
स्थूल शरीर निन्दा 1/15/2023 526 0
अन्तःकरण चतुष्ट्य 1/15/2023 411 0
पञ्चप्राण 1/15/2023 538 0
सूक्ष्म शरीर वर्णन 1/15/2023 571 0
प्राणको धर्म 1/15/2023 368 0
अहंकार 1/15/2023 389 0
आत्माको परम प्रेमास्पदता 1/15/2023 326 0
माया वर्णन 1/15/2023 1004 0
रजोगुण 1/15/2023 402 0
तमोगुण 1/15/2023 354 0
सङ्खवगुण 1/15/2023 377 0
कारण शरीर 1/15/2023 406 0
आत्मा–निरूपण 1/15/2023 406 0
अध्यास 1/15/2023 460 0
आवरण र विक्षेपशक्ति 1/15/2023 504 0
बन्ध निरूपण 1/15/2023 360 0
अन्नमय कोश 1/15/2023 408 0
प्राणमय कोश 1/15/2023 394 0
मनोमय कोश 1/15/2023 371 0
विज्ञानमय कोश 1/15/2023 412 0
मुक्ति कसरी प्राप्त हुन्छ ? 1/15/2023 485 0
आनन्दमय कोश 1/15/2023 332 0
आत्मस्वरूप विषयक प्रश्न 1/15/2023 339 0
आत्मस्वरूप निरूपण 1/15/2023 405 0
ब्रह्मा र जगत्को एकता 1/15/2023 335 0
जगत्को मिथ्यात्व 1/15/2023 421 0
ब्रह्म निरूपण 1/15/2023 605 0
महावाक्य – विचार 1/15/2023 462 0
ब्रह्मा–भावना 1/15/2023 508 0
वासना त्याग 1/15/2023 491 0
अध्यास निराकरण 1/15/2023 388 0
अहंपदार्थ निरूपण 1/15/2023 410 0
अहंकार – मुख्यवाधा 1/15/2023 328 0
क्रिया, चिन्ता, र वासना त्याग 1/15/2023 366 0
प्रमाद – निन्दा 1/15/2023 445 0
अविद्याको स्थिति 1/15/2023 414 0
आत्म निष्ठाबाट सर्वात्मभाव 1/15/2023 411 0
समाधिद्वारा विकल्पको नाश 1/15/2023 395 0
ध्यानद्वारा परमात्मभावको प्राप्ती 1/15/2023 478 0
निर्विकल्प समाधिको महङ्खव 1/15/2023 394 0
समाधि – प्राप्तिको उपाय 1/15/2023 374 0
वैराग्य र मुमुक्षुताको आवश्यकता 1/15/2023 391 0
ध्यान विधि 1/15/2023 398 0
आत्म दृष्टि 1/15/2023 429 0
ब्रह्ममा भेदको अभाव 1/15/2023 422 0
आत्म चिन्तनको उपदेश 1/15/2023 346 0
शरीर उपेक्षा 1/15/2023 331 0
आत्मज्ञानको फल 1/15/2023 438 0
जीवनमुक्तको लक्षण 1/15/2023 421 0
प्रारब्ध कर्म विचार 436 0
प्रारब्ध निराकरण 1/15/2023 387 0
नानात्व – निषेध 1/15/2023 467 0
वेदान्त – सिद्धान्तको सार 1/15/2023 466 0
बोधोपलब्धी 1/15/2023 416 0
शिष्यको अनुभव 1/15/2023 463 0
सद्गुरूप्रति कृतज्ञता 1/15/2023 600 0
गुरुको अन्तिम उपदेश 1/15/2023 787 0
आत्माको अविनाशिता 1/15/2023 799 0
परमार्थता 1/15/2023 1114 0
शिष्य बिदाइ 1/15/2023 1058 0
अनुवन्ध – चतृष्टय 1/15/2023 34347 0