प्राणको धर्म

0 टिप्पणीहरू 369 आगन्तुकहरू

उच्छ्वास, क्षुधा, पीपासा आदि प्राणको धर्महरूको व्याख्या तलको श्लोकमा गरिएको छ ।

उच्छ्वासनिःश्वासविजृम्भणक्षुत्प्रस्पन्दनाद्युत्क्रमणादिकाः क्रियाः ।
प्राणादिकर्माणि वदन्ति तज्ज्ञाः प्राणस्य धर्मावशनापिपासे ।।१०४।।

श्वासप्रश्वास, हाच्छियूँ, झुल्नु, काँप्नु, उछल्नु (उफ्रिनु) आदि क्रियाहरूलाई प्राणका विशेषज्ञले प्राणादिको कर्म भनेका छन् । भोक र प्यास पनि प्राणका धर्म हुन् । ।।१०४।।

प्राण, अपान, समान, उदान, र व्यान पाँच मुख्य प्राण हुन् । त्यस्तै नाग, कर्म, कृकर, देवदत्त र धनञ्जय पाँच उपप्राण हुन् । यो श्लोकमा भनिएको छ – श्वासप्रश्वास, हाच्छियूँ, झुल्नु, काँप्नु आदि प्राणादि कर्मदेखि लिएर भोक प्यास आदि प्राणका धर्महरू सम्पूर्ण प्राणसँग सम्बन्धित छन् । आत्मा प्राणादि धर्महरूबाट पूर्णत असंग छ । निद्रा अवस्थामा मनुष्यलाई भोक–प्यास लाग्दैन । किनकि त्यो अवस्थामा प्राण मनुष्यको देहमा अभिमान रहँदैन । त्यस्तै, मृत व्यक्तिलाई पनि भोक–प्यास लाग्दैन । किनकि त्यो प्राण गइसकेको अवस्था हो ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


CAPTCHA Image
Reload Image

पुराना लेखहरु

लेखहरु प्रकाशित मिति आगन्तुकहरू टिप्पणीहरू
किन महासतिपवान मात्र सत्यमोक्ष साधना हो ? 08 poush 2079 488 0
मंगलाचरण 1/15/2023 515 0
मुक्तिको दुर्लभता 1/15/2023 422 0
मनुष्य जन्मको दुर्लभता 1/15/2023 632 0
विचारको महङ्खव 1/15/2023 407 0
शिष्य लक्षण 1/15/2023 478 0
साधन–चतुष्टय 1/15/2023 1197 0
वैराग्य र मुमुक्षताको महङ्खव 1/15/2023 427 0
सद्गुरु लक्षण 465 0
शिष्य प्रार्थना 1/15/2023 527 0
गुरु कर्तव्य 1/15/2023 583 0
1/15/2023 401 0
शिष्य प्रशंसा 1/15/2023 438 0
मोक्षमा स्वप्रयत्नको प्रधानता 1/15/2023 406 0
शास्त्र अध्ययनको मिथ्यात्व 1'/15/2023 452 0
अपरोक्षानुभवको आवश्यकता 426 0
स्थूल शरीरको व्याख्या 1/15/2023 631 0
विषयविन्दा 1/15/2023 459 0
देहाशक्तिको निन्दा 1/15/2023 441 0
स्थूल शरीर निन्दा 1/15/2023 526 0
दश इन्द्रियहरू 1/15/2023 752 0
अन्तःकरण चतुष्ट्य 1/15/2023 413 0
पञ्चप्राण 1/15/2023 540 0
सूक्ष्म शरीर वर्णन 1/15/2023 571 0
अहंकार 1/15/2023 389 0
आत्माको परम प्रेमास्पदता 1/15/2023 328 0
माया वर्णन 1/15/2023 1004 0
रजोगुण 1/15/2023 402 0
तमोगुण 1/15/2023 356 0
सङ्खवगुण 1/15/2023 379 0
कारण शरीर 1/15/2023 408 0
आत्मा–निरूपण 1/15/2023 408 0
अध्यास 1/15/2023 464 0
आवरण र विक्षेपशक्ति 1/15/2023 506 0
बन्ध निरूपण 1/15/2023 362 0
अन्नमय कोश 1/15/2023 410 0
प्राणमय कोश 1/15/2023 394 0
मनोमय कोश 1/15/2023 373 0
विज्ञानमय कोश 1/15/2023 414 0
मुक्ति कसरी प्राप्त हुन्छ ? 1/15/2023 487 0
आनन्दमय कोश 1/15/2023 334 0
आत्मस्वरूप विषयक प्रश्न 1/15/2023 343 0
आत्मस्वरूप निरूपण 1/15/2023 407 0
ब्रह्मा र जगत्को एकता 1/15/2023 337 0
जगत्को मिथ्यात्व 1/15/2023 421 0
ब्रह्म निरूपण 1/15/2023 605 0
महावाक्य – विचार 1/15/2023 464 0
ब्रह्मा–भावना 1/15/2023 508 0
वासना त्याग 1/15/2023 493 0
अध्यास निराकरण 1/15/2023 392 0
अहंपदार्थ निरूपण 1/15/2023 410 0
अहंकार – मुख्यवाधा 1/15/2023 330 0
क्रिया, चिन्ता, र वासना त्याग 1/15/2023 368 0
प्रमाद – निन्दा 1/15/2023 447 0
अविद्याको स्थिति 1/15/2023 414 0
आत्म निष्ठाबाट सर्वात्मभाव 1/15/2023 413 0
समाधिद्वारा विकल्पको नाश 1/15/2023 397 0
ध्यानद्वारा परमात्मभावको प्राप्ती 1/15/2023 480 0
निर्विकल्प समाधिको महङ्खव 1/15/2023 396 0
समाधि – प्राप्तिको उपाय 1/15/2023 376 0
वैराग्य र मुमुक्षुताको आवश्यकता 1/15/2023 393 0
ध्यान विधि 1/15/2023 400 0
आत्म दृष्टि 1/15/2023 429 0
ब्रह्ममा भेदको अभाव 1/15/2023 424 0
आत्म चिन्तनको उपदेश 1/15/2023 348 0
शरीर उपेक्षा 1/15/2023 333 0
आत्मज्ञानको फल 1/15/2023 438 0
जीवनमुक्तको लक्षण 1/15/2023 421 0
प्रारब्ध कर्म विचार 438 0
प्रारब्ध निराकरण 1/15/2023 389 0
नानात्व – निषेध 1/15/2023 467 0
वेदान्त – सिद्धान्तको सार 1/15/2023 468 0
बोधोपलब्धी 1/15/2023 418 0
शिष्यको अनुभव 1/15/2023 467 0
सद्गुरूप्रति कृतज्ञता 1/15/2023 600 0
गुरुको अन्तिम उपदेश 1/15/2023 787 0
आत्माको अविनाशिता 1/15/2023 801 0
परमार्थता 1/15/2023 1114 0
शिष्य बिदाइ 1/15/2023 1058 0
अनुवन्ध – चतृष्टय 1/15/2023 34347 0